ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का विशाल बीहड़ विश्व बैंक की मदद से बनेगा कृषि योग्य

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर की पहल पर हुई उच्चस्तरीय बैठक, विश्व बैंक अधिकारी भी शरीक


बीहड़ क्षेत्र में खेती-किसानी व पर्यावरण में होगा सुधार, रोजगार भी काफी बढ़ेंगे-श्री तोमर


विश्व बैंक व मध्यप्रदेश ने दी सैद्धांतिक सहमति, महीनेभर में बनेगी प्रारंभिक रिपोर्ट 


बीहड़ क्षेत्र में कृषि का विस्तार, उत्पादकता बढ़ाने, वैल्यू चैन विकसित करने पर जोर


नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री और मुरैना-श्योपुर क्षेत्र के सांसद नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ को कृषि योग्य बनाने के लिए विश्व बैंक की मदद से एक बड़ी परियोजना बनाते हुए व्यापक काम किया जाएगा। इस संबंध में श्री तोमर की पहल पर शनिवार को उच्चस्तरीय बैठक हुई। बैठक में श्री तोमर के अलावा विश्व बैंक व मध्यप्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी एवं कृषि विशेषज्ञ शामिल हुए। श्री तोमर ने कहा कि इस परियोजना से बीहड़ क्षेत्र में खेती-किसानी तथा पर्यावरण में अत्यधिक सुधार होगा, साथ ही रोजगार के काफी अवसर पैदा होंगे। परियोजना पर सभी ने सैद्धांतिक सहमति जताई तथा प्रारंभिक रिपोर्ट महीनेभर में बनाना भी तय हुआ है। 


वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने प्रस्तावित परियोजना के माध्यम से बीहड़ क्षेत्र में कृषि का विस्तार करने, उत्पादकता बढ़ाने तथा वैल्यू चैन विकसित करने पर जोर दिया। श्री तोमर ने बताया कि चंबल क्षेत्र के लिए पूर्व में विश्व बैंक के सहयोग से बीहड़ विकास परियोजना प्रस्तावित थी, पर विभिन्न कारणों से विश्व बैंक उस पर राजी नहीं हुआ। अब नए सिरे से इसकी शुरूआत की गई है, ताकि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के समग्र विकास का सपना हकीकत का रूप ले सकें। परियोजना के माध्यम से बीहड़ को कृषि योग्य बनाने का उद्देश्य तो है ही, कृषि का विस्तार होने के साथ उत्पादकता भी बढ़ेगी। कृषि बाजारों, गोदामों व कोल्ड स्टोरेज का विकास परियोजना के अंतर्गत करने का विचार है। 


श्री तोमर ने बताया कि बीहड़ की 3 लाख हैक्टेयर से ज्यादा जमीन खेती योग्य नहीं है। प्रोजेक्ट के माध्यम से क्षेत्र में सुधार हो जाएं तो वहां खेती प्रारंभ होगी तथा पर्यावरण की दृष्टि से भी यह ठीक होगा, आजीविका भी मिलेगी। विश्व बैंक तथा म.प्र. के अधिकारी, सभी इस पर काम करने के इच्छुक है। परियोजना से बीहड़ विकास के अलावा नए रिफार्म से खेती-किसानी के लिए मदद होगी। इस संबंध में उनकी पिछले दिनों विश्व बैंक के अधिकारियों से बात हुई थी, जिसके बाद राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल करते हुए यह बैठक रखी गई। 


श्री तोमर ने कहा कि क्षेत्र में नदी किनारे काफी जमीन है जहां कभी खेती नहीं हुई तो यह क्षेत्र जैविक रकबे में जुड़ेगा जो बड़ी उपलब्धि होगी। जो चंबल एक्सप्रेस बनेगा, यहीं से गुजरेगा। इस तरह क्षेत्र का समग्र विकास हो सकेगा। प्रारंभिक रिपोर्ट बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी बैठक की जाएगी और आगे की बातें तय होगी।  


बैठक में म.प्र. के कृषि संचालक श्री संजीव सिंह ने बताया कि पूर्व में विभिन्न विभागों के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट प्लान किया गया था। अब सहमति के उपरांत नए सिरे से प्रदेश में कृषि की वर्तमान स्थितियों तथा अन्य प्रदेशों का तत्संबंधी आकलन करते हुए परियोजना का प्रारूप बनाया जाएगा। सरकार द्वारा किए गए खेती संबंधी रिफार्म के आधार पर किसानों तथा अन्य संबंधित वर्गों को ज्यादा से ज्यादा लाभ कैसे मिलें, यह भी देखा जाएगा। म.प्र. में देश का सबसे ज्यादा आर्गेनिक क्षेत्रफल है, जिसे प्रमोट करने की जरूरत है। प्रोजेक्ट को मिशन मोड में लेकर अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम करेंगे। गुणवत्तायुक्त बीजों के विकास तथा म.प्र. को इसमें सफिशियेंट बनाने के साथ-साथ सरप्लस राज्य बनाने का भी उद्देश्य रहेगा। 


म.प्र. के कृषि उत्पादन आयुक्त के.के. सिंह ने कहा कि पुराने प्रोजेक्ट को रिवाइज किया जाएगा। श्री तोमर के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, श्री सिंह ने महीनेभर में प्रारंभिक रिपोर्ट बनाने पर सहमति जताई। विश्व बैंक के साथ सहयोग करते हुए सेटेलाइट इमेज सहित अन्य माध्यमों से परीक्षण कर प्रारूप बनाया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने कहा कि रिसर्च, टेक्नालाजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, पूंजीगत लागत, निवेश आदि पर विचार किया जाएं, साथ ही छोटे एलोकेशन के साथ परियोजना का प्रारंभिक काम शुरू कर सकते है। 


विश्व बैंक के अधिकारी श्री आदर्श कुमार ने कहा कि विश्व बैंक म.प्र. में काम करने की इच्छुक हैं। परियोजना से जुड़े जिलों में किस तरह से, कौन-सा निवेश हो सकता है, देखना होगा। प्रोजेक्ट नए रिफार्म के अनुकूल हो सकता है। विश्व बैंक के ही अधिकारी श्री एबल लुफाफा ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर भूमि इत्यादि की जो स्थितियां है, उन्हें समझते हुए प्रोजेक्ट पर विचार किया जाएगा। हम अन्य देशों का उदाहरण लेकर काम कर सकते हैं। मार्केटिंग की सुविधा, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना बनाना होगी। वैल्यू चैन पर काम करना ज्यादा फायदेमंद होगा। हम तत्पर है और यह काम करना चाहेंगे।


राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि वि.वि., ग्वालियर के कुलपति डा. एस.के. राव ने कहा कि म.प्र. के कृषि विकास को ध्यान में रखते हुए काम किया जा सकता है। कृषि उत्पादन में तो म.प्र. आगे है ही, अब इंफ्रास्ट्रक्चर को इस प्रोजेक्ट के माध्यम से मजबूत कर सकते हैं। आगे निर्यात बढ़ाने की भी तैयारी कर सकते हैं। उद्यानिकी उपज में भी निर्यात की काफी गुंजाइश है। 


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