बुंदेलखंड की धरती से आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने की गर्जना
रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि वि.वि. के कालेज व प्रशासनिक भवन का शुभारंभ
प्रधानमंत्री श्री मोदी बोले- गांव के स्तर पर मिडिल स्कूल लेवल से ही कृषि विषय का प्रयास
प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में बढ़ी कृषि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता- श्री तोमर
पीएम ने विद्यार्थियों से संवाद कर कृषि क्षेत्र की समृद्धता बढ़ाने के लिए किया प्रोत्साहित
नई दिल्ली/झांसी। रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के कालेज व प्रशासनिक भवन का शुभारंभ शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कृषि छात्र-छात्राओं से संवाद करते हुए उन्हें देश के कृषि क्षेत्र की समृद्धता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम में श्री मोदी ने कहा कि कृषि से जुड़ी शिक्षा को, उसकी प्रेक्टिकल एप्लीकेशन को स्कूल स्तर पर ले जाना भी आवश्यक है। प्रयास है कि गांव के स्तर पर मिडिल स्कूल लेवल पर ही कृषि के विषय को इंट्रोड्यूस किया जाए। इससे दो लाभ होंगे, एक तो गांव के बच्चों में खेती से जुड़ी स्वाभाविक समझ होती है, उसका वैज्ञानिक तरीके से विस्तार होगा, दूसरा लाभ ये होगा कि खेती व इससे जुड़ी तकनीक, व्यापार इसके बारे में अपने परिवार को ज्यादा जानकारी दे पाएंगे। इससे देश में एग्रो इंटरप्राइज को भी और बढ़ावा मिलेगा। नई शिक्षा नीति में इसके लिए जरूरी रिफार्म्स किए गए हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी रानी लक्ष्मीबाई ने बुंदेलखंड की धरती पर गर्जना की थी, ‘’मैं, मेरी झांसी नहीं दूंगी।‘’ इसी झांसी से, बुंदेलखंड की इसी धरती से आज एक नई गर्जना की आवश्यकता है कि मेरी झांसी, मेरा बुंदेलखंड आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत लगा देगा, एक नया अध्याय लिखेगा। इसमें बहुत बड़ी भूमिका कृषि की है। जब हम कृषि में आत्मनिर्भरता की बात करते हैं तो ये सिर्फ खाद्यान्न तक ही सीमित नहीं है बल्कि ये गांव की पूरी अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता की बात है। ये देश के अलग-अलग हिस्सों में खेती से पैदा होने वाले उत्पादों में वैल्यू एडिशन करके देश और दुनिया के बाजारों में पहुंचाने का मिशन है। कृषि में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य किसानों को एक उत्पादक के साथ ही उद्यमी बनाने का भी है। जब किसान व खेती उद्योग की भांति आगे बढ़ेंगे तो बड़े स्तर पर गांव में और पास भी रोजगार व स्वरोजगार के अवसर तैयार होने वाले हैं।
श्री मोदी ने देश में कृषि सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि आज बीज से लेकर बाजार तक खेती को टेक्नोलॉजी से जोड़ने, आधुनिक रिसर्च के फायदों को जोड़ने का काम निरंतर किया जा रहा है। इसमें बहुत बड़ी भूमिका रिसर्च संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों की भी है। श्री मोदी ने कहा कि टिड्डी दल के हमले से किसानों की फसलों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया। ड्रोन, हेलीकाप्टर, जैसे सारे प्रयासों के बाद भारत, अपने किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान होने से बचा पाया और टिड्डी दलों से मुक्ति पाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बड़ा विकास बुंदेलखंड में किया जाएगा। यानी, एक तरह से बुंदेलखंड में ‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’ का मंत्र चारों दिशाओं में गूंजेगा।
समारोह में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि वर्ष 2014 में श्री मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनने के बाद से उन्होंने सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ देशव्यापी असंतुलन दूर करते हुए दूरदृष्टि से काम किया है। इसके सुखद परिणाम मिलने लगे हैं। कृषि शिक्षा की दृष्टि से भी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में गुणवत्ता बढ़ाने का काम किया जा रहा है। झांसी कृषि वि.वि. में 3 महाविद्यालय हैं व 22 राज्यों के विद्यार्थी यहां अध्ययनरत हैं। यह वि.वि. पूरी तरह संचालित होने पर बुंदेलखंड क्षेत्र सहित देशभर को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में जैविक खेती की बड़ी संभावना है, जिसके लिए कृषि मंत्रालय व उ.प्र. सरकार मिलकर अच्छा काम कर रहे हैं।
श्री तोमर ने बताया कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में सेवा करने के लिए राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय का उन्नयन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि वि.वि. के रूप में किया गया है, वहीं 6 नए कॉलेज प्रारंभ करके केंद्रीय कृषि वि.वि., इम्फाल का विस्तार किया गया है। पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र में विकास व आजीविका सुरक्षा के सम्यक सुधार को उच्च प्राथमिकता देते हुए कृषि गतिविधियों में शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार का सुदृढ़ीकरण किया गया है। इसके अंतर्गत अरूणाचल प्रदेश व मेघालय में कृषि कॉलेज, मिजोरम व सिक्किम में बागवानी कॉलेज, नागालैंड में पशु चिकित्सा विज्ञान कॉलेज, इम्फाल, मणिपुर में खाद्य प्रौद्योगिकी कॉलेज हैं। कृषि अनुसंधान के लिए पूसा (नई दिल्ली) स्थित देश का भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान तो है ही, कृषि के क्षेत्र में ऐसे उत्कृष्ट संस्थान को दोहराने के लिए आईएआरआई जैसे दो नए संस्थान झारखंड व असम में भी स्थापित किए गए हैं। पीएच.डी. में कृषि छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप प्रति माह 15,000 रूपए से बढ़ाकर 31,000 रू. की गई है।
श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के लक्ष्य के अनुरूप किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के साथ मिलकर बहुत अच्छे से कार्य कर रही है व सद्परिणाम आने लगे हैं। मोदीजी की किसान हितैषी नीतियों के कारण, लाकडाउन के बावजूद किसानों ने मेहनत से रबी फसलों की बंपर पैदावार की, ग्रीष्मकालीन फसलें अधिक बोई, खरीफ की बुवाई भी पिछली बार से 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ज्यादा हुई है। पीएम-किसान में 10 करोड़ से ज्यादा किसानों को 92 करोड़ रू. उनके खातों में दे चुके हैं। इससे किसानों की आय वृद्धि के साथ उनकी सहायता हुई है। कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएं, इस दृष्टि से 10 हजार एफपीओ बनाने, ढाई करोड़ किसानों को केसीसी उपलब्ध कराने, एक लाख करोड़ रू. के कृषि अवसंरचना कोष की स्थापना, नए कानून बनाने जैसे कदमों के कारण कृषि क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हो रहा है।
समारोह में श्री योगी ने कहा कि वर्ष 2014 में केंद्र में श्री मोदी के आने के बाद से देश में एक नया परिवर्तन देखने को मिल रहा है, लोगों की सोच में भी बदलाव आया है। उन्होंने बुंदेलखंड में जल-समस्या हल करने के प्रयासों सहित विकास कार्यों की बानगी पेश करते हुए कृषि क्षेत्र की तरक्की के लिए केंद्र सरकार से मिल रही मदद को सराहा, जिनके कारण किसानों की आय बढ़ रही है।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला व कैलाश चौधरी तथा बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रमुख जनप्रतिनिधि उपस्थित थे, वहीं हजारों कृषि विद्यार्थी व शिक्षक आनलाइन जुड़े। कार्यक्रम का संचालन आईसीएआर के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा ने किया। रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि वि.वि. के कुलपति डा. अरविंद कुमार ने विद्यार्थियों व प्रधानमंत्री के बीच संवाद का संचालन किया।