देशभर में मनाया जा रहा है वन महोत्सव, ग्रीन कवर बढ़ाने में गुजरात सबसे आगे

संयुक्त राष्ट्र की इंटरगर्वमेंटल रिपोर्ट 2018 के मुताबिक पूरे विश्व के पास बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने के लिए सिर्फ 12 वर्ष ही हैं। हम जल्दी ही 2021 में कदम रखने वाले हैं यानि यह समय घटकर केवल लगभग 10 साल का रह गया है। अगर ऐसा करने में कामयाबी नहीं मिली तो ग्लोबल वॉर्मिंग से अकाल की स्थिति पैदा हो जाएगी। भारत समेत कई देशों ने इस दिशा में कई कामयाब प्रयास किए हैं। भारत ने कार्बन एमिशन को काबू करने के लिए क्लीन एनर्जी की तरफ़ रूख किया है और साथ ही ग्रीन कवर बढ़ाने की दिशा में भी भारत देश अग्रसर है। ग्रीन कवर यानि पेड़-पोधौं की संख्या बढ़ाने के लिए भारत में हर साल वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है। कोरोना महामारी के कारण इस साल वन महोत्सव को मनाने के लिए सोशल डिस्टेसिंग सहित हर ज़रूरी गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है।


पूरे देश के ग्रीन कवर को बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान गुजरात का रहा है। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वनों के महत्व को समझते हुए राज्य में वन महोत्सव के तहत साल 2004 में संस्कृति वन की शुरुआत की थी। 


उनकी ही दिशा में आगे बढ़ते हुए गुजरात की रूपाणी सरकार भी लगातार काम कर रही है। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने गांधीनगर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूरे राज्य में 71वें वन महोत्सव का ई-लोकार्पण किया। गुजरात में वन महोत्सव के तहत इस साल 33 ज़िलों की 8 महानगरपालिकाओं, 250 तहसीलों और 5100 गांवों में जन भागीदारी से यह महोत्सव मनाया जाएगा। इस साल राज्य में 10 करोड़ पेड़-पौधे रोपण किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। वन महोत्सव के तहत गुजरात सरकार का लक्ष्य पूरे राज्य को हरा भरा बनाना और मौजूदा पेड़-पौधों की देखभाल करना है।


वन महोत्सव के लोकार्पण के मौके पर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने प्राचीन संस्कृति में वनों की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की याद के तौर पर राजकोट में बनने वाले 20वें सांस्कृतिक वन का नाम 'राम वन' रखा गया है।


मुख्यमंत्री ने मौजूदा कोरोना काल में कोरोना पीड़ित व्यक्ति में ऑक्सीजन का स्तर गिरने का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें ऑक्सीजन टैंक स्थापित करने के बजाय अधिकाधिक हरियाली पौधों का रोपण कर प्राकृतिक रूप से ऑक्सीजन को बढ़ाते जाना है।


गुजरात सरकार का 'गो ग्रीन' अभियान


गुजरात सरकार द्वारा 'ग्रो ग्रीन' अभियान शुरू किया गया है जिसके तहत हर ज़िले में 33 'वृक्ष रथ' चलाए जाएंगे। ये 'वृक्ष रथ' मोबाइल वैन हैं जो जगह-जगह जाकर लोगों के बीच मिट्टी, खाद, बीज और ग्रीन गार्ड का वितरण करेंगी।


गुजरात का बढ़ता ग्रीन कवर


गुजरात ने तेज़ गति से बढ़ते औद्योगिक विकास के बावजूद पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ जल एवं पानी के अपने विज़न को कायम रखा है। गुजरात सरकार जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए हरित आवरण बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।


गुजरात में वन क्षेत्र के बाहर 34 करोड़ पेड़ बढ़ गए जो पिछले 13 सालों में 37% की बढ़ोतरी है।


गुजरात के समग्र औद्योगिक और आर्थिक विकास में पर्यावरण संतुलन और प्रदूषण नियंत्रण भी बनाए रखा गया है।


समुद्र तट के रखवाले कहे जाने वाले मैंग्रूव पेड़ों के वनों की वृद्धि करने वाला गुजरात पूरे देश का इकलौता राज्य है।


गुजरात में पिछले 2 साल में वन क्षेत्र में 9700 हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है।


राज्य के वन क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो अर्बन इलाकों में मौजूदा पेड़ों की 34.35 करोड़ तक पहुंच चुकी है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू पहल के तहत अब तक गुजरात में 19 जंगल बनाए जा चुके हैं।


पंचवटी, स्मृति वन, ऑक्सीज़न पार्क, ग्रीन गार्ड के निर्माण के लिए गैर सरकारी संगठनों और आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है जिससे राज्य में खुले स्थानों पर अधिक से अधिक पेड़ लगाए जा सकें।


जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी के बीच गुजरात द्वारा अर्बन वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए किया जा रहा काम सराहनीय है। गुजरात सरकार के बजट में भी वन और पर्यावरण विभाग के लिए 1781 करोड़ रुपये और जलवायु परिवर्तन के लिए 1019 करोड़ रुपये का प्रावधान है जो बाकी कई राज्यों की तुलना में अधिक है।


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