फर्जी कंपनी बनाकर ठगी करने वाले चार गिरफ्तार, मास्टर माइंड फरार
सवा तीन किलो सोना और 13.5 लाख की नकदी समेत आठ करोड़ माल बरामद
नोएडा। थाना फेज-3 की पुलिस ने फर्जी कंपनी बनाकर फ्रेंचाइजी देने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जबकि इनका एक साथी अभी पुलिस की पकड़ से बाहर है। इनके पास से लगभग आठ करोड़ रुपये का सामान बरामद किया गया है। उनमें दो करोड़ का सोना, चांदी, 13.50 लाख की नकदी, 05 कार, 63 लैपटॉप और 27 मोबाइल फोन आदि शामिल हैं।
थाना फेज-3 में शनिवार को हुई प्रेस कान्फ्रेंस में डीसीपी सेंट्रल हरीश चंदर ने बताया कि कुछ लोगों ने शिकायत की थी कि हाईपर मार्ट नाम की एक कंपनी है, जो फ्रेंचाइजी देने के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बना रही है। पहले आठ लोगों ने तहरीर दी। उसके बाद 22 अन्य लोगों ने भी कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच कर रही टीम ने सूचना के आधार पर चार अभियुक्तों को सी-50 सेक्टर-63 के पास से गिरफ्तार कर लिया। लेकिन मास्टर माइंड फरार हो गया। पकड़े गए आरोपियों में गाजियाबद के इंदिरापुरम निवासी अंकुर उर्फ सोनू वर्मा उर्फ छोटू उर्फ अजय शर्मा पुत्र ओम प्रकाश वर्मा, सुनील मिस्त्री, गाजियाबाद के साहिबाबाद निवासी रविन्द्र कुमार पुत्र महावीर सिंह और मेरठ निवासी सुनील कुमार पुत्र नत्थू सिंह शामिल हैं। उन्होंने बताया कि गए अंकुर उर्फ सोनू का भाई राजेश कुमार उर्फ राजेश आडवाणी फरार है।
डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी ओम प्रकाश वर्मा का बेटा राजेश कुमार उर्फ राजेश उर्फ राजेश आडवाणी उर्फ अरविंद गांधी उर्फ सुनील उर्फ आरके आडवाणी उर्फ रोहित वर्मा उर्फ राहुल गुप्ता उर्फ राहुल कुमार उर्फ विशाल उर्फ रॉबर्ट ब्लू पुत्र ओम प्रकाश अपने भाई अंकुर उर्फ सोनू वर्मा, उर्फ छोटू उर्फ अजय शर्मा के साथ मिलकर वर्ष-2014 से ही फर्जी कंपनी चलाकर लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं। यही दोनों भाई मास्टर माइंड हैं। सबसे पहले इन लोगों ने हाइपर मार्ट नाम की फर्जी कंपनी बनाई और बाद में 10 उसकी सहयोगी कंपनी (सिस्टर कंसर्न) बनाई। ये लोग ग्रोसरी की होम डिलीवरी के काम की फ्रेंचाइजी देने का लालच देकर लोगों के साथ ठगी करते थे। ये लोग फ्रेंचाइजी के नाम पर 20 से 50 लाख रुपये लेते थे। इतना ही नहीं, ये लोग अपनी कंपनी में नौकरी देने के नाम पर लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाते थे और उनके कागजात का अवैध इस्तेमाल करते थे।
डीसीपी ने बताया कि इन लोगों ने देश के कई राज्यों में लोगों के साथ ठगी की है। उनके पास गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मेरठ से भी शिकायतें मिली हैं। इन लोगों ने वर्ष-2019 में नोएडा में कंपनी खोली थी। उनके बैंक एकाउन्ट भी उसी दौरान के हैं, जो सभी फर्जी पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि फ्रेंचाइजी के नाम पर लिए पैसे से इन लोगों ने बड़ी संपत्ति बनाई। इनके तीन फ्लैट का भी पता चला है। जांच में इनके 90 बैंक खातों की भी जानकारी मिली है। उनके बारे में भी बैंकों से डिटेल जानकारी मांगी गई है। उन्होंने बताया कि फिलहाल इनकी पांच फर्जी कंपनियों का पता चल गया है। संभावना है कि ये लोग देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 100 फर्जी कंपनियां ऑपरेट कर रहे हैं। उनके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।
पकड़े गए आरोपियों के पास से 3 किलो 330 ग्राम सोने के बिस्किट व गहने (कीमत करीब 2 करोड़ रुपये), 242 ग्राम चांदी के सिक्के व गहने, 13 लाख 54 हजार 550 रुपये नगद, एक मर्सिडीज समेत 05 कारें, 63 लैपटॉप, 27 मोबाइल फोन, 04 एलईडी, 04 यूपीएस, 05 प्रिन्टर, 26 थर्मल प्रिन्टर, 37 बार कोड स्कैनर, 02 पेटी प्रिन्टर रोल कागज, 02 इन्टरनेट डिवाइस, 05 डीवीआर, 01 स्वैप मशीन बिजनेस, 04 चार्जर, 02 राउटर इंटरनेट, 02 लैंडलाइन टेलीफोन सेट, 02 थम्ब स्कैनर, 27 की बोर्ड, 19 माउस, 12 कम्प्यूटर मॉनिटर, 117 एटीएम कार्ड, 96 चेक बुक, 69 पैन कार्ड, 09 आधार कार्ड, 19 वोटर आईडी कार्ड, 17 ड्राइविंग लाइसेन्स और 23 मोहरें बरामद की गईं हैं।