वैसे स्वास्थ्यकर्मियों के बाद यदि नेताओं को यह टीका लगे तो वह इस दृष्टि से उचित होगा कि नेता लोग सबसे अधिक जन-सम्पर्क में रहते हैं। उन्हें कोरोना का शिकार होने में देर नहीं लगती। इसके अलावा देश की पंचायतें, नगर निगम, विधानसभाएँ और संसद का जो काम ढीला पड़ गया है, उसमें भी गति आ जाएगी। यदि कृषि-कानूनों पर संसद लंबी बहस करती तो क्या सरकार को इस किसान आंदोलन के दिन देखने पड़ते ? सरकार के सामने यह भी बड़ा प्रश्न है कि 140 करोड़ लोगों में अब सबसे पहले किन-किन लोगों को यह टीका दिया जाए? स्वास्थ्यकर्मियों के बाद अब यह टीका उन लोगों को दिया जाएगा, जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा है, क्योंकि उन्हें कोरोना का खतरा ज्यादा होता है। यदि इन लोगों को यह टीका मुफ्त या कम कीमत पर दिया जाए तो ज्यादा अच्छा है, क्योंकि इस वर्ग में मजदूर, किसान, ग्रामीण और गरीब लोगों की संख्या ज्यादा है। यों भी ये भारतीय टीके दुनिया के सबसे सस्ते टीके हैं। विदेशी टीकों की कीमत 5 से 10 हजार रु. तक है जबकि हमारे टीके दो सौ से तीन सौ रु. तक में ही मिल जाएंगे। सरकार चाहे तो इन्हीं टीकों को निजी अस्पतालों को हजार-डेढ़ हजार रु. में बेचकर उस पैसे का इस्तेमाल मुफ्त टीके बांटने में कर सकती है। वैसे भी पिछले दो-तीन हफ्तों में देश के लगभग सभी प्रदेशों से उत्साहजनक खबरें आ रही हैं। जिन अस्पतालों में इस महामारी के मरीजों के लिए विशेष बिस्तर लगवाए गए थे, वे अब खाली पड़े रहते हैं। जो निजी डाक्टर और नर्सें पहले अपने अस्पतालों में आने से घबराते थे, वे अब आने लगे हैं। अब स्कूल-कालेज भी खुलने लगे हैं। सड़कों और बाजा़रों में भी चहल-पहल बढ़ गई है। हो सकता है कि भारत का काम 30 करोड़ टीकों से ही चल जाए। इन भारतीयों टीकों का इस्तेमाल अपने पड़ौसी देशों में भी जमकर होगा। पाकिस्तान के अलावा दक्षेस के सभी राष्ट्र आस लगाए बैठे हैं कि भारतीय टीका उनका उद्धार करेगा। वह सस्ता भी है और उसे सहेजना भी आसान है। भारत इन पड़ौसी देशों को लगभग एक करोड़ टीके शीघ्र देनेवाला है। भारत के इन दोनों टीकों ने दुनिया में धूम मचा दी है। दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील भी इन्हें मंगा रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि पाकिस्तान भी एक-दो दिन में इसकी मांग करने लगे। यह भी हो सकता है कि वह काबुल या दुबई से होकर इन्हें मंगवा ले। कोरोना का यह टीका दुनिया में भारत की छवि को चमकाए बिना नहीं रहेगा। कोरोना-युद्ध में भारत सबसे बड़ी विश्वशक्ति बनकर उभरेगा। उसके आम लोगों की सावधानियां, उसकी भोजन-पद्धति, उसके आयुर्वेदिक काढ़े, उसके टीके और उसके स्वास्थ्य-कर्मियों की साहसिक सेवाओं ने कोरोना महामारी को मात देने की पूरी तैयारी कर रखी है। |