प्रधानमंत्री के आव्हान के बाद दलहन का आयात न्यूनतम, सालाना 15000 करोड़ रू. से अधिक की बचत- श्री तोमर
भवन का उद्घाटन तथा क्षेत्रीय केंद्र खोरधा (ओडिशा) की आधारशिला रखी
नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत, दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा हैं। पिछले पांच-छह साल में किसानों व वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम एवं केंद्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण देश ने अपने दलहन उत्पादन को 140 लाख टन से बढ़ाकर 240 लाख टन कर लिया है। अब हमें भविष्य की आवश्यकताओं की ओर भी ध्यान देना होगा। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2050 तक लगभग 320 लाख टन दलहन की आवश्यकता होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आव्हान के बाद दलहन में आयात पर निर्भरता कम हुई है और देश को प्रति वर्ष 15000 करोड़ रूपए से अधिक की बचत हो रही है।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात बुधवार को विश्व दलहन दिवस पर भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कही। इस मौके पर श्री तोमर ने आईआईपीआर के क्षेत्रीय केंद्र भोपाल व बीकानेर में कार्यालय व प्रयोगशाला भवन का उद्घाटन किया, साथ ही आईआईपीआर के क्षेत्रीय केंद्र खोरधा (ओडिशा) की आधारशिला रखी। इस अवसर पर "आत्मनिर्भरता एवं पोषण सुरक्षा विषय पर" तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित की जा रही है, जिसमें 700 से अधिक वैज्ञानिक, शोधकर्ता, नीति निर्धारक, छात्र-छात्राएं एवं किसानबंधु शामिल हो रहे हैं, जो दलहन व पोषण सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
श्री तोमर ने कहा कि विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन ने लोगों के स्वास्थ्य पर दलहनी फसलों के अच्छे प्रभाव को देखते हुए विश्व दलहन दिवस मनाने का निर्णय लिया है। इससे विश्व का ध्यान दलहनी फसलों को बढ़ावा देने पर जाएगा व इसमें हमारे सामूहिक प्रयासों को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश में गेहूं व धान की खरीद तो एमएसपी पर होती थी, लेकिन दलहन व तिलहन की खरीद की व्यवस्था नहीं थी, केंद्र सरकार ने किसानों को आय समर्थन के लिए इन्हें भी एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था की है। 6 साल में दालों के एमएसपी को 40% से 73% तक बढ़ाया गया है, जिसका लाभ निश्चित ही किसानों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए भी दलहन पर और काम करने की जरूरत है। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की मुख्य भूमिका है, कृषि वैज्ञानिक अनेक किस्में देश को उपलब्ध करा रहे हैं, जिनसे उत्पादन व उत्पादकता दोनों बढ़ाने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने किसानों की आमदनी वर्ष 2022 तक दोगुनी करने की बात कही है, इस लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में केंद्र व राज्य सरकार तथा आईसीएआर व किसान पूरी तन्मयता से काम कर रहे हैं, जिसका प्रतिफल मिलेगा। किसानों को सुरक्षा कवच मिल सकें और वे जोखिम से बेफिक्र हो सके, इसलिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना परिवर्तित रूप से लागू की गई है। 4 साल में किसानों द्वारा पीएम फसल बीमा स्कीम में साढ़े 17 हजार करोड़ रू. प्रीमियम भरी गई, जबकि उन्हें 5 गुना से ज्यादा राशि, यानी 90 हजार करोड़ रू. से अधिक क्लेम राशि का पेमेंट किया गया हैं। इससे सरकार की ओर से किसानों को एक बड़ी मदद मिली है।
श्री तोमर ने कहा कि देश में 86% छोटे व सीमांत किसान है, वे तभी मुनाफे में आ सकते हैं जब महंगी फसलों की ओर आकर्षित हो, नई टेक्नालाजी से जुड़े, मार्केट से लिंक हो, कृषि उपज की लागत कम कर सकें और कृषि क्षेत्र के विकास में योगदान करते हुए अपनी आवश्यकताएं पूरी करने में सफल हो। इस दृष्टि से सरकार ने 10 हजार एफपीओ बनाने का निर्णय लिया, जिन पर 6850 करोड़ रू. खर्च किए जाएंगे, जिसका सुफल देश के किसानों को मिलने वाला है। खेती के क्षेत्र में नवाचार की बहुत जरूरत है, कानूनी बंदिशों को समाप्त करने की जरूरत भी लंबे कालखंड से महसूस की जा रही थी, इस दिशा में रिफार्म्स व एफपीओ स्कीम के अलावा एक लाख करोड़ रू. का इंफ्रास्ट्रक्चर फंड भी लाया गया है, जिस पर काम प्रारंभ हो चुका है तथा कुछ राज्यों को प्रोजेक्ट भी स्वीकृत किए जा चुके हैं। कृषि व बागवानी उपज को नुकसान से बचाने के उद्देश्य से किसान रेल, कृषि उड़ान की स्कीम लाई गई है। अभी 150 से अधिक किसान रेल चलाई जा चुकी है व टाप्स स्कीम में भाड़े में 50% सब्सिडी दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि बेहतर प्रजातियां एवं उच्च गुणवत्तायुक्त बीज अच्छी फसल का एक प्रमुख घटक है। इसे ध्यान में रखते हुए 150 दलहन बीज हब की स्थापना की गई है। समग्र कृषि क्षेत्र आगे बढ़े, यह देश व कृषि क्षेत्र की आवश्यकता है। तिलहन के क्षेत्र में भी भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो, इस दिशा में भी चिंता करने की जरूरत है, वैज्ञानिक लगातार शोध करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि इस संगोष्ठी के फलस्वरूप देश में दलहन उत्पादन की गति बनाए रखने व दालों के क्षेत्र में राष्ट्र को पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर बनाने की ठोस कार्ययोजना प्राप्त होगी।
कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी तथा आईसीएआर के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में आईसीएआर के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. तिलक राज शर्मा, सहायक महानिदेशक डा. संजीव गुप्ता, आईआईपीआर के निदेशक डा. एन.पी. सिंह एवं किसान, वैज्ञानिक व अन्य अधिकारी भी शामिल हुए।