50 वर्षों में कृषि अनुसंधान प्रौद्योगिकियों के उपयोग से देश में महत्वपूर्ण बदलाव आया है- श्री तोमर

 खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर के ‘‘प्रशिक्षण सह कृषक आवास’’ का उद्घाटन

नई दिल्ली/जबलपुर: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर के नवनिर्मित ‘‘प्रशिक्षण-सह-कृषक आवास भवन’’ के उद्घाटन अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री


नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि वर्ष 2050 तक भारत की जनसंख्या 160 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है एवं खाद्यान्न की वार्षिक जरूरत भी 400 मिलियन टन तक बढ़ने की संभावना है, जिससे कृषि क्षेत्र में न्यूनतम 4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की आवश्यकता होगी। पिछले कुछ साल में, देश में कृषि अनुसंधान द्वारा सृजित की गई प्रौद्योगिकियां अपनाने से कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आया है, इसके बावजूद मृदा, जल, जलवायु एवं जैव विविधता, अनुसंधान में बदलाव आज भी चुनौती बने हुए हैं। सरकार इस दिशा में पूरी सजगता से काम कर रही है, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में कमियों को पूरा करने का काम पूरी तत्परता के साथ किया जा रहा है। 

श्री तोमर ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम फसल बीमा योजना, एक लाख करोड़ रूपए का कृषि अधोसंरचना फंड, 10000 नए एफपीओ, कृषि सुधार कानून जैसे एक के बाद एक कई ठोस उपाय लागू किए गए हैं। बजट में भी कृषि क्षेत्र पर ध्यान देते हुए किसानों को ऋण प्रवाह के लिए डेढ़ लाख करोड़ रूपए की राशि बढ़ाकर 16.50 लाख करोड़ रूपए कर दी गई है, साथ ही नाबार्ड में स्थापित कृषि सिंचाई फंड दोगुना करके 10000 करोड़ रूपए कर दिया गया है। 

उन्होंने कहा कि भारत में अनेकों देशी एवं विदेशी खरपतवार बहुतायत में मिल रहे हैं, लेकिन इनके नियंत्रण हेतु अनेक प्रकार की विधियों को अपनाया जा रहा है। वर्तमान में विभिन्न खरपतवारों से एक-तिहाई नुकसान होता हैं, उन्नत कृषि तकनीक एवं खरपतवार प्रबंधन के माध्यम से खाद्यान्न उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की जा सकती है। कृषि में उभरती चिंताओं, चुनौतियों को देखते हुए और फसल उत्पादन स्तर बढ़ाने के लिए खरपतवारों के प्रभावी नियंत्रण हेतु इस निदेशालय द्वारा लगातार अनुसंधान किया जा रहा है। साथ ही, विकसित तकनीकों को किसानों व अन्य संबंधित लोगों तक पहुंचाने के लिए वृहद् प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। कृषि विकास को गति देने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधनों की आवश्यकता होती है और यह तभी संभव है, जब उनमें प्रशिक्षण हेतु संस्थानों में अधोसंरचना की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं। इन्हीं सबको ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रहा है। निदेशालय में नवनिर्मित प्रशिक्षण-सह-किसान आवास भवन के प्रयोग में आने से प्रशिक्षण कार्यक्रम को और भी अधिक गति दी जा सकेगी।

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी ने कहा कि कृषि उत्पादन स्तर को ऊंचा करने के लिए उन्नत बीज, उर्वरक व सिंचाई प्रबंधन समन्वित कीट-रोग प्रबंधन के साथ-साथ उचित खरपतवार प्रबंधन की विषेष आवश्यकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि फसलों में परजीवी खरपतवारों का प्रबंधन भी एक चुनौती है, जलीय खरपतवारों की भी गंभीर समस्या है, इसी को ध्यान में रखते हुए स्थापित किया गया अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर विश्व में एकमात्र ऐसा संस्थान है, जहां खरपतवार से संबंधित विभिन्न अनुसंधान किए जाते हैं। निदेषक डा. जे.एस. मिश्र ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में परिषद् के उपमहानिदेशक डा. एस.के. चौधरी, विभिन्न संस्थानों के निदेशक, कृषि वि.वि के कुलपति तथा संस्थान के समस्त वैज्ञानिक व कर्मचारी उपस्थित थे।

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