एक्ट ईस्ट नीति से उत्तर-पूर्व क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाओं के द्वार खुले हैं : बिरला
श्री बिरला ने स्थानीय निकायों के प्रशासन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए सूचना और संचार तकनीकों तथा नई प्रौद्योगिकियों का अधिकाधिक उपयोग किए जाने पर बल दिया
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लोक सभा अध्यक्ष ने लोकतांत्रिक संस्थाओं के सभी भागीदारों से सकारात्मक चर्चा और संवाद के माध्यम से सभी समस्याओं का समाधान करने का आग्रह किया
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हमें अपने विचारों और कार्यों में राष्ट्रीय एकता के मूलभूत आदर्श को प्राथमिकता देनी चाहिए : मुख्य मंत्री, मेघालय
शिलांग : लोक सभा अध्यक्ष,
ओम बिरला शिलांग पहुंचे और आज उन्होंने मेघालय और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के स्थानीय निकायों के लिए आउटरीच और परिचय कार्यक्रम का उद्घाटन किया ।
मेघालय के मुख्य मंत्री, डॉ कॉनरेड के संगमा; केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली; मेघालय विधान सभा के अध्यक्ष, मेतबाह लिंगदोह; मेघालय सरकार के जिला परिषद कार्य विभाग मंत्री, लखमन रिम्बुई भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए ।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कार्यपालिका की जवाबदेही केवल संसद और विधान सभाओं में ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर भी सुनिश्चित की जाए । इस संबंध में श्री बिरला ने इस बात पर बल दिया कि लघु विधायी निकायों के रूप में कार्य करने वाली स्वायत्त जिला परिषदों को चर्चा और संवाद के माध्यम से कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए ।
श्री बिरला ने कहा कि ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी पहलों से स्थानीय क्षेत्रों का विकास होगा । उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम वोकल फॉर लोकल का चुनाव करेंगे । महात्मा गांधी की संकल्पना का स्मरण करते हुए, लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि जब प्रत्येक गांव आत्मनिर्भर होगा, तभी भारत आत्मनिर्भर होगा । अध्यक्ष महोदय ने यह भी कहा कि हमारी एक्ट ईस्ट नीति से उत्तर- पूर्व क्षेत्र के विकास की अपार संभावनाओं के द्वार खुले हैं और उत्तर पूर्वी राज्यों को इन अवसरों का अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिए।
श्री बिरला ने स्थानीय निकायों के प्रशासन को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और सुगम बनाने के लिए सूचना और संचार तकनीकों और नई प्रौद्योगिकियों के अधिकाधिक उपयोग पर बल दिया । अध्यक्ष महोदय ने यह भी कहा कि पंचायती राज संस्थाएं समावेशी विकास की अवधारणा के साथ विकास कार्यक्रमों के संबंध में सहयोग और सामूहिकता की भावना से चर्चा करे तथा जनता की समस्याओं का समाधान जनता को केन्द्र में रखकर निकालें।