'अन्नदाता' भारत किसान संघ किसानों के हित में निकालेगा विशाल समर्थन रैली
नोएडा
'अन्नदाता' भारत किसान संघ संगठन जिसमें कई कृषक उत्पादक संगठन व् अन्य कृषि संगठनों की भागीदारी है इसमें तेजी से किसान भाई जुड़ रहे हैं | संघ जिलेवार किसानों के हितों की बातों से सम्बंधित सभाएं आयोजित कर रहा है | किसानों को खेती व् रोजगार से सम्बंधित ज़रूरी तकनीकी जानकारियां व् अन्य सहायता उपलब्ध करवा रहा है जिसमें बैंक से लोन, आर्गेनिक खेती के प्रति जागरूकता, गौ पालन के लिए प्रेरणा, कृषि विशेषज्ञों से सहायता, ग्राम पर्यटन को बढ़ावा देना, किसान क्रेडिट कार्ड, बीमा, चारा विकास योजना, डेरी योजना आदि विषय शामिल हैं |
संघ का लक्ष्य है कि देशभर में कृषक सहायता केन्द्रों की स्थापना की जाए जिसमें किसानों को मुफ्त परामर्श प्रदान किया जाए | किसानों के हितों में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचे व् उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत हो सके इस पर संघ महत्वपूर्ण कार्ययोजना बनाकर कार्य कर रहा है जिसमें बड़ी संख्या में किसान भाईयों का समर्थन प्राप्त हो रहा है |
संघ का मानना है कि हमें केवल नकारात्मक राजनीती को ही बढ़ावा देने की मंशा से कार्य नहीं करना चाहिए बल्कि किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए कार्य करना चाहिए | प्रधानमंत्री जी द्वारा किसानो के हित में उठाये गए कदम की सराहना करने के साथ साथ भरपूर शक्ति व् उत्साह से इसका समर्थन करता है I देश में सत्तारूढ़ सरकार खेती-किसानी के धंधे से जुड़े लोगों का हित चाहती है, इसलिए उसने इससे जुड़े जड़वत कानूनों को बदलने की हिम्मत दिखाई है।
यथार्य में कई राजनितिक संगठन जो अपने आपको पुनर्जीवित करने की घृणित राजनीती के तहत कई किसानो को भड़का रहे हैं ,इसके गलत प्रभाव बता रहे हैं और किसानो का आंदोलन जो 100 दिन से ऊपर हो चुका है यह आंदोलन सिर्फ नाममात्र का आंदोलन है जबकि वास्तव में टेंट खाली पड़े हैं और जिन नेताओं को कोई नहीं जानता था वह अब अपने आपको किसान नेता बता रहे हैं यह एक षड़यंत्र है जिसे सिर्फ एक किसान ही किसान को समझा सकता है और इस समय असली किसान तो अपनी फसल कटाई में व्यस्त हैं फिर यह आंदोलनकर्ता कौन है ? यह सिर्फ बरग़लाये हुए चंद लोग है जो राष्ट्रीय लोक दाल जिसने कांग्रेस का समर्थन किया था के टिकट पर चुनाव लड़े हुए व् हारे हुए टिकैत जो कांग्रेस की राजनीती कर रहे हैं और चेहरा भारतीय किसान यूनियन का लगाया
हुआ है, बेचारे यूनियन के लोग भी इस व्यक्ति की राजनितिक मंशाओं से अनभिज्ञ हैं I जबकि जब बिल की चर्चा हुई कि यह कानूनी रूप लेने वाला है तो यह पहले व्यक्ति थे यूनियन के जिनका बयान आया कि "अब मेरे मृत पिता श्री महेंद्र सिंह टिकैत की आत्मा को शांति मिलेगी " फिर कब किस सांठगांठ से,किस वित्तपोषण से इन्होने यह आंदोलन खड़ा किया कोई नहीं जानता ,इन्हे गिरफ्तार किया जाना चाहिए I देश में लगभग 80 करोड़ किसान हैं अगर यह कृषि विधेयक लाभकारी न होता तो शायद 80 करोड़ किसान सड़क पर होता ,पर हम सब भली भांति जानते हैं की यह कांग्रेस के लोग हैं जो सात वर्ष से घर बैठे हुए थे "बिगबॉस” के घर और अब घटिया राजनीती कर रहे हैं I
राकेश टिकैत व इनको समर्थन देने वाले राजनीतिक दलों ने झूठ फैलाया कि किसान बिल असल में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य न देने की साजिश है। जबकि किसान बिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना-देना नहीं है, एमएसपी दिया जा रहा है और भविष्य में दिया जाता रहेगा।
कुछ राजनीतिक दलों से प्रेरित किसान संगठन झूठ फैला रहे हैं कि अब मंडियां खत्म हो जाएंगी। जबकि मंडी सिस्टम जैसा है, वैसा ही रहेगा।
दरअसल, यह राजनीतिक दलों से प्रेरित किसान संगठन झूठ फैला रहे हैं कि किसानों के खिलाफ है किसान बिल जबकि, किसान बिल से किसानों को आजादी मिलती है। अब किसान अपनी फसल किसी को भी, कहीं भी बेच सकते हैं। इससे 'वन नेशन, वन मार्केट' स्थापित होगा। बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करके किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे।
राजनीतिक दलों से प्रेरित किसान संगठन झूठ फैला रहे हैं कि कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर बड़ी कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी।