जनता के हित सभी बड़े अस्पतालों का राष्ट्रीयकरण किया जाए - डॉ आसिफ
निजी अस्पतालों के राष्ट्रीकरण से रुकेगी इलाज में मनमानी वसूली - माइनोरिटीज फ्रंट
नई दिल्ली
कोरोना महामारी काल में निजी अस्पतालों ने मरीज़ों से जितनी लूटपाट की है, इतनी लूटपाट 70 वर्षों के आज़ाद भारत में पहले कभी नहीं हुई।
आल इंडिया माइनोरिटीज फ्रंट के अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने या बयान जारी करते हुए कहा कि इन निजी अस्पतालों में गरीबों के लिए आरक्षित बिस्तर मोटे पैसे लेकर धनवानों को दिया जाना आम हो गई है। इसलिए केंद्र सरकार महामारी की इस आपात स्तिथि को देखते हुए सभी निजी अस्पतालों के राष्ट्रीयकरण करे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद दिलाया कि इंदिरागांधी ने जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था उससे पहले बैंक गरीबों के पैसे जमा तो कर लेते थे लेकिन उनकी जरूरत पर ऋण नहीं देते थे। आज वही स्थिति निजी अस्पतालों की है।
डॉ आसिफ ने कहा कि निजी अस्पताल किसी दबाव में ews इवीएस कोटे में भर्ती कर भी लेते है, तो बाद मेंअस्पताल प्रशासन उन्हें इतना परेशान कर देता है कि वे अस्पताल छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं।
फ्रंट के नेता ने कहा कि कोरोना महामारी काल में इन मंहगे निजी अस्पतालों ने एक भी गरीब व्यक्ति को भी न भर्ती किया न ही उसको इलाज की सुविधा दी। डॉ तालोंफ़ ने कहा कि ऐसे अस्पतालो के किस्से आम हैं कि एक दिन पहले अस्पताल में भर्ती के लिए लाखों रुपये वसूले और अगले दिन उस व्यक्ति की मौत हो गई। स्थिति यह है कि घर मकान और अपने जेवरात बेचकर यहां इलाज करवाने वाले ज्यादातर लोगों को निराश ही होना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में बेड न मिलने के चलते मोटी रकम देकर दाखिल होने को लोग मजबूर हैं। सरकार को इस लूट खसोट को रोकने के लिए इन अस्पतालों को अपने कब्जे में लेना चाहिए। इन अस्पतालों ने लोक कल्याण
व सस्ता इलाज के नाम पर अस्पताल बनाने के लिए एक ₹ ग़ज़ के हिसाब से ज़मीन हासिल की और इलाज उपकरणों के लिए हर तरह की छूट हासिल की है। उनको दी गयी हर तरह की छूट और रियायत का फायदा सामान्य लोगों को नहीं मिला है। ऐसे इन अस्पतालों ने तो अपने नाम की चेन बना ली है। कुछ अस्पताल तो अपनी फ्रेंचाइजी भी बेच रहे हैं। इन अस्पतालों को दी जाने वाली सरकारी सुविधाएं फौरन रोकनी चाहियें । क्योंकि ये अस्पताल इलाज के लिए स्वनिर्धारित फीस और तरह तरह के नाजायज़ शुल्क मरीज़ से वसूल रहे हैं। स्तिथि इस हद तक भयावह है कि अतिगंभीर मरीज़ों को भी तब तक दाखिल नहीं करते जब तक उनकी आर्थिक मांग न पूरी हो जाये।
डॉ आसिफ ने कहा कि दिल्ली सरकार भी अपने स्तर पर निजी अस्पतालों को सरकार के मातहत लेने की शुरूआत कर सकती है।