उद्योगों में व्यवसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा संकट को तत्काल दूर करने की आवश्यकता

नई दिल्ली 

 इंडस्ट्रीऑल ग्लोबल यूनियन ने भारत में अपने सहबद्धो के साथ देश में व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा की स्थिति में सुधार के लिए भारत सरकार के तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया ।

मई 2020 से जून 2021 के बीच देश भर में रासायनिक और खनन उद्योगों में लगभग 116 औद्योगिक दुर्घटनाओं में जिसमें लगभग 231 श्रमिकों की मौत हो गई । हकीकत तो यह है की, मई 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन उपायों और औद्योगिक गतिविधियों की बहाली होने के बाद से, भारत में औद्योगिक दुर्घटनाओं की एक श्रृंखला देखी गई ।

मई से दिसंबर 2020 तक तकरीबन 64 दुर्घटनाएं हुई जिनमें 118 कामगार मारे गए और कई सैकड़ों घायल हुए । वही जनवरी से जून 2021 तक खनन और रासायनिक उद्योगों में हुई लगभग 52 औद्योगिक दुर्घटनाओं घटी जिसमें 117 से अधिक श्रमिक मारे गए और लगभग 142 कामगार गंभीर रूप से घायल हुए है । ये आंकड़े एक गंभीर स्थिति को संकेत करते हैं क्योंकि ये संख्या मुख्यधारा की मीडिया रिपोर्टों और इंडस्ट्रीऑल ग्लोबल यूनियन के अपने सहबद्धो द्वारा सूचित दुर्घटनाओं के संकलन पर आधारित हैं । दुर्घटनाओं और मौतों की वास्तविक संख्या इससे बहुत अधिक हो सकती है ।

कोविड 19 के कारण बड़ी संख्या में श्रमिको की भी मौत हुई है, जिनमें से कुछ अपने कार्यस्थलों पर फैले संक्रमण के कारण है । अब तक विनिर्माण क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को मिलाकर लगभग 32 औद्योगिक प्रतिष्ठानों, जिसमें कोयला खनन, इस्पात, सीमेंट उद्योग शामिल है, कोविड-19 के कारण 1,857 श्रमिकों की जान गई है । संवाददाता सम्मेलन में वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि बड़ी संख्या में अप्रशिक्षित और अनिश्चित/ ठेका श्रमिकों को काम पर लगाना, खराब सुरक्षा निरीक्षण प्रणाली, सुरक्षा प्रोटोकॉल और सुरक्षा जागरूकता का कमजोर कार्यान्वयन, अपर्याप्त जोखिम आकलन और प्रतिक्रिया; लापरवाही; आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रक्रियाओं की खराबी से दुर्घटनाओं का दुषप्रभाव बढ़ा है ।

इंडस्ट्रीऑल के सहायक महासचिव केमाल ओज़कान ने कहा कि, “इंडस्ट्रीऑल इन गंभीर दुर्घटनाओं से बहुत चिंतित है जो खुद के नियंत्रण से बाहर हैं और पारंपरिक व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल का उपयोग करके इनका विश्लेषण और रोकथाम करना मुश्किल है । भारत में औद्योगिक दुर्घटनाएं एक गंभीर चिंता का विषय हैं, हालांकि उन्हें बहुत कम रिपोर्ट किया जाता है और आंकड़ों से पता चलता है कि उनका कवरेज भी पुरा नहीं है । सामग्री और उपकरणो का इस्तेमाल, कार्यस्थल वातावरण, नौकरी और कार्य प्रक्रियाओं सहित सुरक्षा के सभी पहलुओं और सभी हितधारकों (सरकार, नियोक्ता और श्रमिकों) को मिलकर रोकथाम की कई परतों की एक प्रणाली बनानी होगी, जिसमें कमी का कोई अवसर न हो । “

इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजीव रेड्डी ने कहा की भारत सरकार को औद्योगिक दुर्घटनाओं का विश्लेषण करने और उनके मूल कारणों और त्रुटियों की जाँच करने के लिए एक विशेष आयोग का गठन करना चाहिए । सरकार और नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य की रक्षा करने की जिम्मेदारी लेनी होगी और सुरक्षा संकट को तुरंत दूर करना होगा । हाल ही में पारित व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और काम करने की स्थिति संहिता, 2019 में सरकार ट्रेड यूनियनों की चिंताओं को दूर करने में विफल रहे है । इसका बहुत सीमित कवरेज है और ठेका श्रमिकों सहित और अन्य कर्मचारियों के भारी वर्ग को छोड़ दिया गया है । उन्हें श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नीतियों को तैयार करना होगा और मौजूदा कानूनों / निर्देशों को मजबूत और सशक्त बनाने के लिए यूनियनों के साथ काम करना होगा । 

इंडस्ट्रीऑल एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य और SMEFI (HMS) के महासचिव संजय वाधावकर ने कहा की कोविद -19 के कारण बड़ी संख्या में श्रमिकों की जान जा रही है और इसके अतिरिक्त लगातार घातक दुर्घटनाएं अब विनिर्माण क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया हैं । केंद्र और राज्य सरकारों को तुरंत सुरक्षा निरीक्षण प्रणाली को मजबूत करना चाहिए, इनकी उचित जांच करनी चाहिए और दुर्घटनाओ की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए एवं सार्वजनिक परामर्श और सुरक्षा उपायों में सुधार के लिए ट्रेड यूनियनों को शामिल करना चाहिए जिससे कार्यस्थल पर श्रमिकों के जीवन की रक्षा हो सके ।

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