भारत की अगुवाई में मनेगा अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष

प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री 


नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई बैठक

नई दिल्ली: वर्ष 2023 में भारत की अगुवाई में दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा। इस संबंध में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में आज उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार द्वारा पहले से भी पोषक अनाज संबंधी योजनाएं-कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

श्री तोमर ने बताया कि भारत में खेती-किसानी व किसानों को समृद्ध करने के दृष्टिकोण के साथ, प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत के प्रस्ताव पर, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फैसला किया है कि वर्ष 2023 में भारत के प्रायोजन में अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मनाया जाएगा। इसकी घोषणा के लिए भारत द्वारा वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) को पत्र भेजा गया था, जिसके बाद एफएओ की कृषि संबंधी समिति व परिषद द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार करने तथा एफएओ के 41वें सत्र में प्रस्ताव का समर्थन किए जाने सहित अन्य प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह वर्ष मनाने का निर्णय लिया गया है। श्री तोमर ने बताया कि इसके माध्यम से खाद्य सुरक्षा व पोषण के लिए पोषक अनाज के योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना उद्देश्य है। खान-पान व स्वास्थ्य की बदलती स्थितियों के बीच पोषक अनाज का और अधिक महत्व है, जो वर्षों पहले व्यापक उपयोग होता रहा।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने बताया कि मिलेट्स के विकास के लिए भारत सरकार ने अनेक कदम उठाए है। 2018 में इसका राष्ट्रीय वर्ष मनाया गया, साथ ही एक विशिष्ट पहचान प्रदान करने के लिए कदन्नों को पोषक अनाज के रूप में अधिसूचित किया गया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत उप-मिशन प्रारंभ किया गया, वहीं कदन्न मूल्य श्रृंखला में राज्य सरकारों व हितधारकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए है। देश में 18 बीज उत्पादन केंद्र व 22 बीज हब स्थापित किए गए हैं। सरकार द्वारा क्लस्टर व अग्ररेखित प्रदर्शनों के माध्यम से प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण, मूल्य संवर्धित उत्पादों को विकसित करने के लिए मिलेट्स के तीन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने, पोषण मिशन अभियान में मिलेट्स को शामिल करने जैसे कदम भी इसमें शामिल है। मिलेट्स के अनेक कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ) भी स्थापित किए गए हैं, साथ ही भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान (IIMR) ने खेत से थाली तक मिलेट्स पर संपूर्ण मूल्य श्रृंखला विकसित की है।

भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का सकारात्मक प्रभाव हुआ है, जिससे वर्ष 2017-18 में मिलेट्स का जो उत्पादन 164 लाख टन था, वह वर्ष 2020-21 में बढ़कर 176 लाख टन हो गया है और वर्ष 2017-18 में उत्पादकता 1163 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1239 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। मिलेट्स का निर्यात वर्ष 2017 में 21.98 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2020 में बढ़कर 24.73 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। 96 अधिक उपज देने वाली, रोग प्रतिरोधी, जिसमें 10 पोषक-अनाज फसलें व 3 जैव शक्तियुक्त किस्में शामिल हैं, का विमोचन किया गया है। नई अधिक उपज देने वाली किस्मों और संकर क़िस्मों के गुणवत्ता वाले बीज की उपलब्धता में वृद्धि हुई है और वर्ष 2020-21 में 5780 क्विंटल बीज उत्पादित हुए हैं।

अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मनाने के लिए की जाने वाली गतिविधियों के प्रस्तावों पर आज बैठक में विस्तृत चर्चा की गई। भारतवर्ष के साथ ही अन्य देशों में भी अनेक आयोजन किए जाएंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी के मुख्य आतिथ्य में इसका आगाज होगा। 2023 में सालभर कार्यक्रमों का सिलसिला चलेगा और इससे पहले भी अनेक कार्यक्रम प्रारंभिक रूप से किए जाएंगे। इसमें राज्य सरकारों, सभी जिलों के स्थानीय प्रशासन, नगरीय निकायों तथा देशभर के सांसदों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा। बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र, कृषि मंत्रालय के अपर सचिव श्री अभिलक्ष लेखी व श्री विवेक अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। केंद्रीय कृषि आयुक्त डा. एस.के. मल्होत्रा ने प्रेजेन्टेशन दिया। 

भारत का मिलेट्स उत्पादन एशिया का 80 प्रतिशत- पोषक अनाज (मिलेट्स) जलवायु प्रतिरोधक क्षमता वाली फसलें हैं, जो 131 देशों में उगाई जाती हैं। यह भोजन के लिए उगाई जाने वाली अनाज की प्रथम फसल है, जिसके सिंधु सभ्यता में पाए गए सबसे पहले प्रमाण 3000 ईसा पूर्व के हैं। एशिया और अफ्रीका में लगभग 59 करोड़ लोगों के लिए यह पारंपरिक भोजन है। इसमें बाजरा, ज्वार, रागी/मंडुवा, कांगनी, कोदो, कुटकी, चीना, सावां, ब्राउनटाप मिलेट, टेफ्फ मिलेट, फोनीओ मिलेट शामिल है। भारत में लगभग 140 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग पौने दो सौ लाख टन मिलेट्स का उत्पादन होता है, वहीं वैश्विक परिदृश्य 717 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में लगभग 863 लाख टन मिलेट्स उत्पादन का है। भारत का मिलेट्स उत्पादन एशिया का 80 प्रतिशत एवं वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत है। देश में मुख्य रूप से आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में मिलेट्स की खेती होती है।

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