जीनोम खुलासे से हल्दी के औषधि प्रणालियों में शामिल होने का खुला रास्ता

 

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल के शोधकर्ताओंकी टीम

 

नई दिल्ली (इंडिया साइंस वायर):जीव-जंतुओं और वनस्पतियों से संबंधित अज्ञात तथ्यों का पता लगाने औरउनकी आनुवंशिक संरचना से जुड़ी जानकारी एकत्रित करने के लिएजीनोम अनुक्रम खोजा जाना एक आवश्यक वैज्ञानिक प्रक्रिया होती है। एक अध्ययन में भारतीय वैज्ञानिकों को हल्दी का जीनोम खोजने में सफलता मिली है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हल्दी के जीनोम का खुलासा होने के बाद इसे मुख्यधारा की औषधीय प्रणालियों में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो सकताहै।

यह अध्ययन भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। उनका दावा है कि हल्दीकीआनुवंशिकसंरचनाका खुलासा होने से इस पौधेकेबारेमेंअबतकअज्ञात रहने वाली कई जानकारियों का पता चला है। इस संबंध में, आईआईएसईआर, भोपाल के वक्तव्य में बताया गया है कि हल्दीकेअनुक्रमणऔरविश्लेषणसेइस औषधीय पौधे केसंबंधमेंकुछअन्यजानकारियोंकीपुष्टि भीहुईहै।

दुनिया भर में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रति रुचि बढ़ रही है, जिसे देखते हुए जड़ी-बूटियों के क्षेत्र में अध्ययन पर जोर दिया जा रहा है।शोधकर्ताजड़ी-बूटियोंके कम समक्ष वालेक्षेत्रों- जैसेकिउनकीआनुवंशिकपृष्ठभूमिपरध्यानकेंद्रितकररहेहैं।डीएनएऔरआरएनएअनुक्रमणतकनीकोंकेविकाससे "हर्बलजीनोमिक्स" नामकएकनये अध्ययन क्षेत्रकोबढ़ावामिलाहै। इसकालक्ष्यजड़ी-बूटियोंकीआनुवंशिकसंरचनाऔरऔषधीयलक्षणोंकेसाथउनकेसंबंधकोसमझनाहै।

हर्बलजीनोमिक्सकेक्षेत्रकीशुरुआतऔरहर्बलसिस्टमकीजटिलताकोदेखतेहुएअबतकसीमित हर्बलजीनोमकाअध्ययनहो सकाहै।आईआईएसईआर, भोपालके शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यहअध्ययनइस महत्वपूर्णअंतर को पाटने में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। संस्थानकेजैविकविज्ञानविभागसे जुड़े शोधकर्ता औरएसोसिएटप्रोफेसरडॉ. विनीतकेशर्मानेकहा, उनकाशोधकार्यविशेषरूपसेमहत्वपूर्णहै,क्योंकिअब तक 3,000 सेअधिकप्रकाशनोंमेंहल्दीपरफोकसरहाहै।इसके बावजूद, अभीतकहल्दी केपूरेजीनोमअनुक्रम कापतानहींचलपायाथा।

इसऔषधीयपौधेकीआनुवंशिकबनावट का पता लगाने केलिएदोतकनीकोंकाउपयोगकिया गयाहै, जिनमें ‘10x जीनोमिक्स (क्रोमियम) कालघु-पठनअनुक्रमण’ [short-read sequencing of 10x Genomics (Chromium)]औरदीर्घ-पठनऑक्सफोर्डनैनोपोरअनुक्रमण’ (Long-read Oxford Nanopore sequencing) शामिल हैं।ड्राफ्टजीनोमअसेंबलीकाआकार1.02 Gbp था,जिसमें~70% दोहराववालेअनुक्रमथे,औरइसमें50,401 कोडिंगजीनअनुक्रम शामिलथे।

यह अध्ययनविकासवादीमार्गमेंहल्दीकीस्थितिकोभी स्पष्टकरता है।शोधकर्ताओंने 17 पौधोंकीप्रजातियोंमेंएकतुलनात्मकविकासवादीविश्लेषणकिया है।इससे द्वितीयकचयापचय, पादपफाइटोहोर्मोनसिग्नलिंग, औरविभिन्नजैविकऔरअजैविकतनावसहिष्णुताप्रतिक्रियाओंसेजुड़ेजीनोंकेविकासक्रम का पता चलता है। यह अध्ययन,हल्दीमेंमौजूदप्रमुखऔषधीययौगिकोंकरक्यूमिनॉइड्सकेउत्पादनमेंशामिलप्रमुखएंजाइमोंसेजुड़ीआनुवंशिकसंरचनाओंकाभीखुलासाकरता है, औरइनएंजाइमोंकेविकास एवं उनकीउत्पत्तिकोबताता है।

डॉशर्मानेकहा, "हमारेअध्ययनसेपताचलाहैकिहल्दीमेंकईजीनपर्यावरणीयतनावके प्रति प्रतिक्रिया में विकसितहुएहैं।" पर्यावरणीयतनावकीस्थितिमेंजीवितरहनेकेलिएहल्दीकेपौधेनेअपनेअस्तित्वकेलिएकरक्यूमिनॉइड्सजैसेद्वितीयकचयापचयोंकेसंश्लेषणकेलिएअद्वितीयआनुवंशिकमार्गविकसितकिएहैं।येद्वितीयकमेटाबोलाइट्सजड़ी-बूटीकेऔषधीयगुणोंकेलिएजिम्मेदारहैं।                                                                                    

यह अध्ययन शोध पत्रिका नेचर-कम्युनिकेशंसबायोलॉजीमेंप्रकाशितकिया गया है।इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं में डॉशर्माकेअलावाअभिषेकचक्रवर्ती, श्रुतिमहाजनऔरशुभमके.जायसवाल शामिलहैं। (इंडियासाइंसवायर)

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