वैज्ञानिकों की कठोर साधना के बाद चांद की जमीं को चूम लिया भारत ने

 


समूचे देश में दीपावली जैसा जश्न, देश दुनिया से मिल रही है भारत को बधाई शुभकामना


आकाश श्रीवास्तव

नई दिल्ली

लंबी प्रतीक्षा, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कठोर साधना और तपस्या के बाद भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान -3 23 अगस्त 2023 को सफलता पूर्वक चांद की जमीं को चूम लिया। इस ऐतिहासिक सफलता के बाद पूरे देश में दीपावली जैसे जश्न है। इसरो के उन महान साधकों को जिन्होंने चांद पर सफलता के डंका गाड़े हैं पूरा देश उन पर गौरान्वित है। चांद पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश है लेकिन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का इकलौता देश है। भारत की इस ऐतिहासिक सफलता पूरी दुनिया भारत को बधाई दे रही है।

चंद्रमा पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर उसमें से निकलेगा और चंद्रमा की सतह पर घूमकर शोध करने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है और जानकारी जुटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने वाले चंद्रयान-3 ने अपनी 40 दिनों की लंबी यात्रा शानदार सफलता के बाद पूरी कर चुका है। ISRO के बताए गए विवरण के मुताबिक, चंद्रयान-3 के लिए मुख्य रूप से तीन उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना जो हो चुका है, चंद्रमा की सतह कही जाने वाली रेजोलिथ पर लैंडर को उतारना और घुमाना लैंडर और रोवर्स से चंद्रमा की सतह पर शोध कराना प्रमुखता पूर्वक शामिल है। चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक चंद्रमा पर पहुंचने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके इस अभियान की अहम जानकारियां साझा की हैं। चंद्रयान-3 अभियान का विक्रम लैंडर चंद्रमा पर पहुंच गया है। इस लैंडर में रोवर भी है जो चंद्रमा का अध्ययन करेग। इस रोवर का नाम प्रज्ञान है।

इस बीच चंद्रयान 3 की मिशन लैंडिग की शानदार सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका से मिशन में शामिल वैज्ञानिकों और देशवासियों को बहुत बधाई दी है। उधर ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि "प्रज्ञान रोवर जल्द ही बाहर आएगा और इसमें एक दिन भी लग सकता है। इसमें से कई यंत्र भी निकलेंगे जिनमें रम्भा शामिल है। रम्भा चंद्रमा के वातावरण का अध्ययन करेगा।" "ये रोवर दो अहम अध्ययन करेगा जिनमें सबसे पहले लेज़र से उस ज़मीन का अध्ययन करना शामिल है। 

इसके साथ ही उसके रसायन को भी जानने की कोशिश की जाएगी।" इसरो प्रमुख ने कहा है कि इस अभियान की सबसे मुश्किल घड़ी और चुनौती उपग्रह को अंतरिक्ष में ले जाकर छोड़ना था और फिर दूसरी मुश्किल घड़ी इसको चंद्रमा पर लैंड कराना था। इस बीच जो खबरें आ रही है कि रोवर प्रज्ञान विक्रम लैंडर से निकल गया है। रोवर चौदह दिन तक चंद्रमा की धरती पर शोध करेगा और उसका डाटा विक्रम लैंडर के जरिए पृथ्वी पर इसरो के कमांड केंद्र तक समूचा डाटा भेजेगा।










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