*हिन्दू नरसंहार पर संयम अब बईमानी*
*कठिन और विभत्स प्रतिकार अनिवार्य*
*( आचार्य श्रीहरि )*
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हिंदू नरसंहार पर संयम अब बईमानी, कठिन और विभत्स प्रतिकार और जवाब देना अनिवार्य है।कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों के हाथों बलिदान हुए निर्दोष लोगों के प्रति आतंकियों के समर्थकों की सहानुभूति हो ही नहीं सकती है, ये हिंसक लोग है, ये विभत्स लोग हैं, ये मानवता विरोधी हैं, ये शांति के दुश्मन हैं, ये आधुनिक युग के रक्तपिशाचुओं के प्रतीक हैं, ये खून बहाकर, हत्या कर खुश होने वाले राक्षस हैं, खून बहाकर खुशियां मनाना इनका एजेंडा हैं। ये कोई पाशान युग के अनपढ गंवार या फिर सभ्यता के प्रकाश से पिछडे हुए लोग नहीं हैं। ये तो आधुनिक युग के बर्बर और हिंसक लोग हैं, ये पढ-लिखे भी हैं, ये आधुनिक हथियार चलाने के लिए प्रशिक्षित लोग हैं।
इनका मजहब भी है, ये पूरी तरह से मजहबी लोग हैं, मजहब के हिसाब से ही ये सभी चीजों को देखते हैं, मजहब के हिसाब से ही खून करते हैं, बम फोडते है, हवाई जहाज उड़ाकर नष्ट करते हैं, स्कूल जलाते हैं, नन्हें बच्चो को बंधक बनाते हैं, नन्हें बच्चों को बंधक बना कर उन्हें गोलियों का शिकार बना देते हैं, भरी भीड पर कारें और अन्य वाहने चला कर निर्दोष जिंदगियां लहूलुहान कर देते हैं, सबसे बडी बात यह है कि इन्हें शैलानियों और दर्शकों से भी कोई सहानुभूति नही होती है, दर्शकों और शैलानियों को भी ये अपनी गोलियों का शिकार बना देते हैं, अपने बमों का शिकार बना देते हैं, अपने अन्य हिंसक हथकंडों का शिकार बना कर संहार कर देते हैं। अभी-अभी आपने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में देखा और सुना, वह कितना विभत्स, हिंसक और अमानवीय था, यह सब सर्वविदित है। मुस्लिम और इस्लाम परस्त आतंकियो ने पहलगाम में शैलानियों पर अंधाधुंध फायरिंग की और तीस से अधिक शैलानियों की जिंदगियों का संहार कर दिया, इसके अलावा दर्जनों शैलानियों को घायल कर दिया। शैलानियों से उनकी दुश्मनी क्या थी? वे तो सिर्फ घूमने-फिरने गये थे।
आतंकियों का मजहब नहीं होता? यह कहना अब तो बंद कीजिये। आतंकियों का मजहब होता है, आतंकियों का मजहब ही प्रेरणा स्रोत होता है। इसका प्रमाण पहलगाम पर आतंकी हमला और नरसंहार है। आतंकवादी जंगलों से निकले और शैलानियों की भीड में आ गये। फिर उनका मजहबी खेल शुरू हो गया। शैलानियों के रंग और वेश को देख कर ये हरकतें करनी शुरू कर देते हैं। शैलानियों को यह उम्मीद तक नहीं थी कि उन्हें मुस्लिम न होने की भीषण और विभत्स सजा मिलने वाली है। सजा के रूप में मौत मिलेगी। आतंकी सभी के धर्म पूछते हैं, कुछ समझदार शैलानियों ने परिस्थितियां भांप ली थी और साक्षात मौत का उन्हें अहसास गया था। फिर उन्होंने अपना धर्म छिपाने की कोशिश की थी। इस पर आतंकियों ने सभी को एक लाइन में खडा कर दिया और फिर कलमा पढने के लिए कह दिया। कलमा पढने में असफल शैलानियों पर फायरिंग करनी शुरू कर दी और शैलानियों को मौत का घाट उतार दिया। कई महिलाओं ने जब आगे बढकर अपने पतियों को बचाने की कोशिश की तो फिर उन्हें भी मौत का डर दिखाया गया। महिलाओं को यह भी संदेश दिया गया कि जाकर मोदी को बता देना, हम मुस्लिम हैं, इस्लाम के मानने वाले लोग हैं, डरने या फिर झुकने वाले नहीं है, कश्मीर खाली करो नही ंतो फिर ऐसा ही दुष्परिणाम मिलेगा, हम इसी तरह हिंसा करेंगे, खून बहायेंगे, निर्दोष जिंदगियों का संहार करेंगे।
पहलगाम से लेकर इस्राइल तक का उदाहरण देख लीजिये। इससे आगे भी रूस के चैचन्या, सोमालिया, सूडान, लेबनान, सीरिया, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, इराक सहित अन्य देशों में चलने वाले मुस्लिम आतंकवाद को देख लीजिये। हर जगह के आतंकी कहते हैं कि वे अल्ला का फरमान पूरा कर रहे हैं, वे कुरान का पालन कर रहे हैं, जिहाद हमारा सबसे पवित्र काम है, जिहाद का आज का अर्थ हिंसा है, खून खराबा है, बर्बर और विभत्स जनसंहार है। ओसामा बिन लादेन भी कहा करता था कि दुनिया इस्लाम को स्वीकार कर ले तो फिर उनका जिहाद समाप्त हो जायेगा, वे हिंसा करना छोड देगे, खून बहाना छोड देगे, बम फोडना छोड देगे, हम तो तलवार के बल पर पूरी दुनिया को इस्लाम स्वीकार करा के दम लेंगे। फिर आप कैसे कह सकते हैं कि आतंकियों का मजहबी नहीं होता हैं, आतंकी भ्रमित लोग हैं? कोई आतंकी भ्रमित नहीं होता है, वे पूरी तरह से इस्लाम के प्रति समर्पित होता है।
आतंकियो के मजहब नहीं होते हैं, कहने वाले लोग ही आतंकवाद के हितैषी होते हैं, संरक्षणकर्ता होते हैं, खाद-पानी देकर पालने वाले लोग होते हैं। जबतक ऐसे लोगों की यह भाषा धूमती-फिरती रहेगी तब तक आतंकवाद का इसी तरह पाला-पोशा जाता रहेगा और इसी तरह दुनिया की शांति को खतरे में डालने के लिए जिहाद चलता रहेगा। जरूरत ऐसी भाषा के प्रतिकार का है। ऐसी भाषा बोलने वालों के खिलाफ कडी कार्रवाई करने का है। अभिव्यक्ति के नाम पर ऐसी भाषा का प्रयोग करने की छूट किसी को नहीं होनी चाहिए। हमास के हमले के बाद इस्राइल में भी ऐसी भाषा बोली जानी लगी थी। इस्राइल की 20 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। मुस्लिम आबादी बोलने लगी कि कुछ भ्रमित लोगो की करतूत को लेकर गाजा की मुस्लिम आबादी पर बम और मिसाइल की वर्षा करना मानवता विरोधी है और मानवता का संहार करने जैसा है। सोशल मीडिया पर ऐसी भाषा तो बेलगाम थी। पर इस्राइल की दूरदर्शिता की प्रशंसा करनी होगी। इस्राइल ने हमास को सबक सिखाने के साथ ही साथ ऐसी भाषा का प्रयोग कर हमास के रक्षा कवच बने अपनी मुस्लिम आबादी का लेखा-जोखा तैयार करना प्रारंभ कर दिया। लेखा जोखा तैयार करने पर पता चला कि ऐसी भाषा का प्रयोग करने वाले तो इंजीनियर और प्रोफसर सहित विख्यात प्रवृति के लोग शामिल थे। इस्राइल ने ऐसी भाषा का प्रयोग कर हमास के लिए जनमत तैयार करने वाले मुस्लिम इंजीनियर और प्रोफेसरों सहित अन्य लोगों की गर्दन नाप डाली, उन्हें उनके आतंकी कर्मो का फल दे दिया गया, जबरन उन्हें सर्बिस से बैरंग कर दिया गया। इस्राइल ने उचित समझ विकसित की थी कि हमास से लडने के पहले हमें अपने घरो के जयचंदों की गर्दन नापनी होगी जो हमास के लिए रक्षा कवर बन कर बैठे हैं। इस्राइल की एक थ्योरी यह भी है कि आतंकी कोई जमीन के नीचे नहीं रहते हैें, ये कोई आसमान में नहीं रहते हैं, ये कोई रहस्यमयी समूह नहीं है। ये तो मुस्लिम आबादी के बीच में ही रहने वाले और फिर हिंसा के लिए प्रशिक्षण लेते हैं, संरक्षण लेते हैं। इस्राइल कहता है कि फिर हमारा मिसाइल और बम मुस्लिम आबादी के बीच ही फटेगा। मुस्लिम आबादी से भी आतंकियों को संरक्षण देने की कीमत इस्राइल खूब वसूलती है। भारत मुस्लिम आतंक का आसान शिकार इसलिए है कि संरक्षणकर्ता मुस्लिम आबादी और अन्य तबकों को सबक ही नहीं दिया जाता।
पूरे देश में पहलगाम की विभत्स घटना के खिलाफ आक्रोश है। आक्रोश में तरह-तरफ की भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को कायर कहा जा रहा है, हिन्दुओं का हत्यारा कहा जा रहा है। कायर नरेन्द्र मोदी नहीं है। फिर कायर कौन है? कायम आतंकी हैं, कायर आतंकियों के आका हैं, कायर आतंकियों के संरक्षणकर्ता हैं, कायर तो आतंकियों के पक्षधर भारत की विपक्षी पार्टियां हैं। नरेन्द्र मोदी ने निश्चित तौर पर मुस्लिम आतंकी संगठन, पाकिस्तान और पाकिस्तान परस्तों की कमर तोड डाली है। मुस्लिम आतंकियों के समर्थक मुस्लिम देशों को भी नरेन्द्र मोदी ने भय दिखाने का साहस किया है कि ये आपके लिए भस्मासुर होंगे, आपकी भी कब्र खोदेंगे। इसीलिए सउदी अरब सहित अनेक अरब देश भी अब मुस्लिम आतकियों के प्रति सबककारी नीति रखते हैं और इन्हें शरण देने या फिर संरक्षण देने के खिलाफ हैं, पाकिस्तान जैसे मुस्लिम आतंकी परस्तों को भी भीख देने के लिए तैयार नहीं है। आतंकियो ने इसी बौखलाहट में ऐसी कायरता को अंजाम दिया है। पहलगाम के दोषी मुस्लिम आतंकियों और संरक्षणकर्ता पाकिस्तान को नरेन्द्र मोदी ऐसी सजा और ऐसा जबाब देंगे कि दुनिया चकित होंगी। नरेन्द्र मोदी पर विश्वास रखिये, समय का इंतजार कीजिये। संयम की अति हुई है।